INDIAN ARCHITECTURE

सिंधु घाटी सभ्यताINDIAN TRIBES & STATES

विश्व के इतिहास की पहली नगरीय सभ्यता थी।

 

इसकी खोज 1921 में हुई।

 

इसमें नगरों का विकास शतरंज के बोर्ड की तरह किया गया था।

 

नालियों का अच्छा बंदोबस्त था।

 

 

सिंधु घाटी सभ्यता के मोहनजोदडो से विशाल स्नानागार प्राप्त हुआ है।

 

 

हड़प्पा नमक स्थल से विशाल अन्नागार प्राप्त हुआ है।

 

 

मौर्यकाल

मौर्यकाल में भारतीय स्थापत्य कला का विकास हुआ।

 

अशोक के शिलालेख, सारनाथ स्तूप, बराबर की गुफाएँ(बराबर की गुफाएं बिहार के जहानाबाद जिले में) इस काल की स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।

 

सारनाथ धमेख स्तूप

सारनाथ उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित है।

यहाँ गौतम बुध्द ने अपना प्रथम उपदेश

(बौद्ध इतिहास में उस प्रथम धर्मोपदेश को धम्मचक्र प्रवर्तन कहते हैं।) 

दिया था।

 

सारनाथ में धमेख और चौखंडी स्तूप हैं।

 

धमेख स्तूप स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है, जिसका निर्माण अशोक ने कराया।

 

सारनाथ में अशोक का शिलालेख भी प्राप्त हुआ है।

 

 

मौर्योत्तर कालीन स्थापत्य कला

 

 

मौर्य काल के बाद पुष्यमित्र शुंग का राज्य प्रारम्भ हुआ।

 

पुष्यमित्र शुंग ने भरहूत स्तूप (भरहुत भारत के मध्य प्रदेश राज्य में सतना जिले में स्थित एक गाँव है  )का निर्माण कराया।

भरहुत स्तूप घूमने और इसके प्रमुख पर्यटन स्थल की जानकारी - Bharhut Stupa  Information In Hindi

भरहूत स्तूप

सातवाहन राजाओं ने अनेक मंदिर, चैत्य और विहार बनवाए।

 

नासिक शिलालेख सातवाहन राजा गौतमीपुत्र श्री शातकर्णी से संबन्धित है।

बराबर की गुफाएँ

बराबर की सप्त गुफाएं, महाभारत कालीन प्राचीन सिद्धेश्वर नाथ मंदिर : संवाद  प्लस

यह बिहार के गया जिले में स्थित हैं।

 

इसमें अशोक का शिलालेख स्थित है।

 

बताया जाता है इसे अशोक ने भिक्षुओं को दान किया था।

 

कुषाण कला

 

कुषाण चीन की यू-ची जाति से संबन्धित थे।

 

उनके काल में मथुरा और गांधार स्कूल प्रमुख थे जो कला से संबन्धित थे।

 

 

इस काल में मूर्तिकला का काफी विकास हुआ।

 

पक्की ईंटों का प्रयोग इसी काल में आरंभ हुआ।

 

गुप्तकालीन स्थापत्य-कला

गुप्तकाल को प्राचीन भारत का स्वर्ण-काल कहा जाता है।

 

गुप्त-काल में मंदिर निर्माण कला का प्रारम्भ हुआ।

 

इस काल में देवताओं की मूर्तियाँ मंदिरों के गर्भग्रह में रखी जाती थीं।

 

सारनाथ का धमोख स्तूप इसी काल में पूर्ण हुआ। 

 

इस काल में मंदिर छोटी-छोटी ईंटों और पत्थरों के बनाए जाते थे।

 

 

इस काल में अनेक मंदिर बनाए गये, जिनमें से प्रमुख उदाहरण इस प्रकार हैं:

  • दशावतार मंदिर- देवगढ़ (झांसी)

 

 

  • पार्वती मंदिर, नचना-कुठारा (पन्ना)

 

  • भीतरगाँव मंदिर- भीतरगाँव (कानपुर)

 

  • शिव मंदिर, भूमरा (नागौर)

 

 

  • दशावतार मंदिर- दशावतार मंदिर गुप्तकालीन स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है। यह झांसी जिले के बेतवा नदी के तट पर स्थित शहर देवगढ़ में स्थित है। यह विष्णु भगवान का मंदिर है।

दक्षिण भारतीय प्राचीन स्थापत्य कला

 

बृहदेश्वर मंदिर

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बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडू के थंजावूर में है।

 

इसे राजाराज चोल प्रथम ने बनवाया।

 

यहपूरी दुनिया में अपनी तरह का एकमात्र मंदिर है जो ग्रेनाइट का मंदिर है।

 

इसका शिखर (विमान) 16 मंजिल ऊंचा है।

 

नटराज मंदिर

चिदंबरम नटराज मंदिर तमिलनाडु

नटराज मंदिर तमिलनाडू के चिदम्बरम में है।

 

नटराज का अर्थ होता है तांडव नृत्य की मुद्रा में शिव।

 

इसमें नटराज की मूर्ति है। इसका निर्माण चोल वंश के राजाओं ने कराया।

 

 

कैलाश मंदिर, एलोरा

INDIAN SCULPTURE

कैलाश मंदिर औरंगाबाद महाराष्ट्र के दर्शन और पर्यटन स्थल की जानकारी - Kailash  Temple Information In Hindi

कैलाश मंदिर एक विश्व प्रसिध्द मंदिर है जो महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एलोरा में स्थित है।

 

इसे राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम ने विशाल चट्टान को काटकर बनवाया।

 

कोणार्क का सूर्य मंदिर

कोणार्क सूर्य मंदिर का रहस्य | Konark Temple Mystery In Hindi

इसका निर्माण गंग शासक नरसिंहदेव ने कराया।

 

इसे ब्लैक पेगोड़ा कहा जाता है।

 

इसमें सूरी के मंदिर को खींचते हुए सात रथ थे।

 

जिसमें 24 पहिये लगे हुए थे।

 

ऐरावतेश्वर मंदिर

इसे चोल राजा राजा राज चोल (द्वितीय) ने बनवाया।

 

इस मंदिर पर मुस्लिम सेनाओं ने आक्रमण भी किया

 

किन्तु पुनः हिन्दू साम्राज्य की स्थापना के समय इसका और अन्य हिन्दू मंदिरों का पुनर्निर्माण हुआ।

 

राजपूतकालीन स्थापत्यकला

 

राजपूत कालीन उत्तर भारतीय मंदिर दक्षिण भारतीय मंदिरों से अलग है।

 

खजुराहो में कई विश्व प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनका निर्माण चंदेल राजाओं ने कराया था।

खजुराहो मंदिर का रहस्य | Khajuraho Temple In Hindi

कंडरिया महादेव मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, वैद्यनाथ मंदिर का निर्माण यशोवर्मन के पुत्र धंग ने कराया।

 

खजुराहो के विष्णु मंदिर का निर्माण चंदेल राजा यशोवर्मन ने कराया। 

 

सोमनाथ का शिव मंदिर राजपूत राजाओं ने बनवाया था

 

 

मंदिर निर्माण की प्राचीन भारतीय शैलियाँ

 

नागर शैली

 

इसका निर्माण ‘नगर’ शब्द से हुआ है।

 

इसका विकास उत्तर भारत में मुख्यतया हुआ है।

 

इसमें प्रमुख मंदिर खजुराहो के कंडरिया महादेव, भुवनेश्वर का लिंगराज, पूरी का जगन्नाथ मंदिर, कोणार्क का सूरी मंदिर, दिलवाड़ा मंदिर, सोमनाथ मंदिर हैं।

 

 

द्रविड़ शैली

 

यह मंदिर निर्माण की दक्षिण भारतीय शैली है।

 

इसमें मंदिर का आकार चौकोर होता है और गोपुरम प्रवेश के लिए होता है।

 

इसमें शिखर(विमान) प्रमुख होते हैं।

 

प्रमुख उदाहरण वातापी का विरूपाक्ष मंदिर, बृहदेश्वर मंदिर, शोर मंदिर, कैलाश मंदिर हैं।

 

 

वेसर शैली

 

यह नागर शैली और द्रविड़ शैली की मिश्रित शैली है।

 

होयसल और चालुक्य मंदिर इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

 

अन्य शैलियाँ पगोड़ा शैली, संधार शैली, निरंधार शैली, सर्वतोभद्र शैली हैं।

 

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